Janmashtami 2025: जन्माष्टमी 2025 में कब है? जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, कथा और व्रत नियम

Reacties · 15 Uitzichten

जन्माष्टमी 2025 कब है? जानें श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, पूजन विधि और पौराणिक कथा। प??

Janmashtami 2025: जानिए श्रीकृष्ण जन्म की तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत का महत्व

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, जिसे गोकुलाष्टमी या अष्टमी रोहिणी के नाम से भी जाना जाता है, हर वर्ष भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। 2025 में यह पर्व और भी विशेष संयोग लेकर आ रहा है, जब अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र एक साथ पड़ रहे हैं।

आइए ओमांश एस्ट्रोलॉजी के साथ जानते हैं – Janmashtami 2025 kab hai, इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत के नियम और पौराणिक कथा।





? जन्माष्टमी 2025 की तिथि और मुहूर्त

  • तिथि: 15 अगस्त 2025 (शुक्रवार)

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 15 अगस्त 2025 को सुबह 10:42 बजे से

  • अष्टमी तिथि समाप्त: 16 अगस्त 2025 को दोपहर 12:18 बजे तक

  • रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 15 अगस्त को शाम 7:56 बजे

  • निशिता काल पूजा मुहूर्त: रात 12:02 से 12:46 तक

  • व्रत पारण का समय: 16 अगस्त को दोपहर 12:20 के बाद

? नोट: व्रत करने वाले भक्त 16 अगस्त को पारण कर सकते हैं।

 

 


 

 

? Janmashtami 2025 पूजा विधि (Puja Vidhi)

  1. व्रत और उपवास: भक्त पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं।

  2. स्नान और संकल्प: प्रातः काल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।

  3. श्रीकृष्ण मूर्ति स्थापना: शाम को पंचामृत से स्नान कराएं और पालने में श्रीकृष्ण को विराजित करें।

  4. नैवेद्य और भोग: माखन, मिश्री, दूध और तुलसी का भोग लगाएं।

  5. मध्यरात्रि पूजा: ठीक रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म के समय विशेष पूजा करें।

  6. आरती और भजन: आरती के साथ भक्त श्रीकृष्ण के नामों का जाप करते हैं।

 


 

 

? Janmashtami Vrat Vidhi (व्रत विधि)

  • उपवास सूर्योदय से अगले दिन पारण तक रखा जाता है।

  • फलाहार में दूध, फल, मखाना, और व्रत में खाई जाने वाली चीज़ें लें।

  • रात्रि 12 बजे के बाद भोग लगाने के बाद ही पारण करें।

 


 

 

? पौराणिक कथा (Janmashtami Vrat Katha)

श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था जब कंस ने अत्याचार का चरम सीमा पार कर दी थी। नारायण के आठवें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण ने जन्म लेकर अधर्म का नाश और धर्म की स्थापना की।

 

 


 

 

शुभ संयोग 2025 में क्यों खास है?

2025 में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र एक ही दिन आ रहे हैं – यह एक अत्यंत शुभ योग है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, इस दिन जन्माष्टमी मनाना विशेष फलदायक होता है।

 

 


 

 

? जन्माष्टमी पर क्या करें और क्या न करें?

✔️ करें:

  • तुलसी का उपयोग अवश्य करें।

  • शुद्धता और ध्यान रखें।

  • रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म के समय आरती और मंत्र जाप करें।

❌ न करें:

  • प्याज, लहसुन या मांसाहार का सेवन न करें।

  • क्रोध, कलह और बुरा व्यवहार न करें।

 


 

 

?️ ओमांश एस्ट्रोलॉजी से विशेष सलाह

यदि आप जन्माष्टमी 2025 को विशेष फलदायक बनाना चाहते हैं, तो अपनी कुंडली का विश्लेषण कराएं और श्रीकृष्ण के अनुकूल उपाय अपनाएं। आप Omaansh Astrology पर सम्पर्क कर सकते हैं।

 

 


 

 

? निष्कर्ष

Janmashtami 2025 केवल एक पर्व नहीं, बल्कि धार्मिक ऊर्जा, भक्ति और आध्यात्मिक पुनर्जागरण का दिन है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म इस बात का प्रतीक है कि हर युग में अधर्म का अंत और धर्म की स्थापना होती है। इस दिन को पूरी श्रद्धा, नियम और पवित्रता से मनाएं और श्रीकृष्ण से आशीर्वाद प्राप्त करें।

 

 


 

 

? और जानें:


अगर यह लेख आपको उपयोगी लगा हो, तो इसे शेयर करें और Omaansh Astrology को फॉलो करें विस्तृत राशिफल, उपाय और शुभ मुहूर्त के लिए।

Reacties