म्यांमार में आए भयानक भूकंप (7.7 तीव्रता) के बाद मौत का आंकड़ा 1,700 के पार पहुंच चुका है। लेकिन इस आपदा के बीच सैन्य सरकार ने विदेशी मीडिया पर रिपोर्टिंग प्रतिबंध लगा दिया है। यह फैसला कई सवाल खड़े कर रहा है—क्या सेना कोई सच्चाई छिपाने की कोशिश कर रही है?
? मीडिया पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया?
म्यांमार की सैन्य सरकार (Junta) ने यह तर्क दिया है कि—
✔️ आवासीय समस्याएं, बिजली कटौती और पानी की कमी जैसी परेशानियों के चलते पत्रकारों को प्रभावित इलाकों में जाने से रोका गया।
✔️ स्थानीय पत्रकारों पर पहले से ही सख्त पाबंदियां थीं, अब विदेशी मीडिया को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है।
✔️ अंतरराष्ट्रीय सहायता संगठनों और मीडिया के दखल को सीमित किया गया है।
⚠️ क्या सेना कुछ छिपा रही है?
? पारदर्शिता पर गंभीर सवाल: सरकार की इस कार्रवाई से संदेह बढ़ गया है कि क्या भूकंप से हुई वास्तविक तबाही के आंकड़े छिपाए जा रहे हैं?
? मानवीय सहायता में रुकावट: कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि सेना ने राहत कार्यों को प्रभावित किया है।
? गृहयुद्ध और सेना का अत्याचार:
2021 में सेना ने लोकतांत्रिक सरकार को तख्तापलट कर हटाया और सत्ता अपने हाथ में ले ली।
देश में सशस्त्र संघर्ष जारी है, और सेना पर हवाई हमले और हिंसा बढ़ाने के आरोप लग रहे हैं।
2023 में पत्रकार साई जॉ थाएक को चक्रवात मोचा की रिपोर्टिंग के कारण 20 साल की सजा सुनाई गई थी।
? अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
? संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने म्यांमार सरकार से मीडिया पर प्रतिबंध हटाने और राहत कार्यों में पारदर्शिता बरतने की अपील की है।
? पत्रकार संगठनों ने भी मांग की है कि सेना प्रेस स्वतंत्रता का सम्मान करे और सही आंकड़े साझा करे।
? मीडिया प्रतिबंध के चलते भूकंप की वास्तविक स्थिति पर दुनिया के पास स्पष्ट जानकारी नहीं पहुंच पा रही है।
आपकी राय क्या है?
❓ क्या म्यांमार की सेना सच में कुछ छिपा रही है?
❓ मीडिया पर इस तरह की पाबंदी क्या सही है?
❓ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर क्या कदम उठाने चाहिए?