क्या मुख्यमंत्री संविधान का अपमान कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई!

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सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और विधानसभा अध्यक्ष को सख्त लहजे में चेतावनी दी है। को??

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और विधानसभा अध्यक्ष को सख्त लहजे में चेतावनी दी है। कोर्ट ने कहा, "अगर संविधान का मजाक उड़ाया गया, तो हम चुप नहीं बैठेंगे।"

तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष ने दलील दी कि अदालत विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने का आदेश नहीं दे सकती, जो पार्टी बदल चुके हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया, "हम संविधान के रक्षक हैं और दलबदल विरोधी कानून (दसवीं अनुसूची) के उल्लंघन पर चुप नहीं रह सकते।"

मुख्यमंत्री के बयान पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने मुख्यमंत्री रेड्डी के उस बयान पर आपत्ति जताई जिसमें उन्होंने कहा था, "कोई उपचुनाव नहीं होगा।" इस पर न्यायमूर्ति गवई ने सवाल उठाया, "क्या आपके मुख्यमंत्री संविधान की दसवीं अनुसूची का मजाक बना रहे हैं?"

विधानसभा अध्यक्ष की देरी पर सुप्रीम कोर्ट का सवाल

अदालत ने पूछा कि बीआरएस से कांग्रेस में गए विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने में 10 महीने क्यों लगे? विधानसभा अध्यक्ष ने जवाब दिया कि "कोर्ट ऐसा आदेश नहीं दे सकता।"

उच्च न्यायालय के आदेश को दी गई चुनौती

तेलंगाना हाईकोर्ट के नवंबर 2024 के आदेश को तीन विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया था कि वे अयोग्यता याचिकाओं पर जल्द निर्णय लें।

सुप्रीम कोर्ट ने मुकुल रोहतगी की दलील पर जताई हैरानी

विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि अदालत अयोग्यता याचिकाओं पर आदेश जारी नहीं कर सकती। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त किया और कहा, "संविधान की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।"

3 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई

बीआरएस नेता पी. कौशिक रेड्डी की ओर से पेश वकील सी ए सुंदरम ने कहा कि "क्या कोई अदालत संवैधानिक अधिकारी को उसके कर्तव्य का पालन करने के लिए बाध्य कर सकती है?" इस मामले की सुनवाई 3 अप्रैल 2025 को जारी रहेगी।

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